साथ मेरा मुझको खलता है....
चाँद के लिए मचलता है
देखे न कोई संभलता है
तेरा मेरा रिश्ता क्या है
क्यूँ अक्सर यूँ मिलता है
वो मेरा अपना सपना है
तेरी आँखों में पलता है
सुनो... सैलाब लाता है
पत्थर जब भी पिघलता है
उनके अपने मतलब होंगे
कौन कभी किसको छलता है
साथ मेरे जब वो होता है
साथ मेरा मुझको खलता है
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