सोमवार, 21 फ़रवरी 2011

कहीं जंगल भी लिख...









  





उसके आसमां का रंग आसमानी लिख
तितलियाँ पकड़ने की       नादानी लिख

 
तपती धुप है            और मीलों सहरा
कहीं जंगल भी लिख....     पानी लिख


मल्हार गायेगी आँखें उसकी       देखना
सुनेगा हाल जब       मेरी जुबानी लिख


पहले लिख नाम          नर्म हथेली पर
फिर कोई लिख ग़ज़ल..   कहानी लिख


तेरे पास रख ले            सल्तनत तेरी
मेरे हिस्से     याकूत की बंदगानी लिख



(चित्र : इन्टरनेट से साभार)

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